Tuesday, November 11, 2008

दया और क्षमा

दया और क्षमा क्या प्यार के हिस्से है ?
या फ़िर इंसानी फितरत ? एक द्वंद युद्ध है दया और प्यार के बीच | नही जानती जीत किसकी होगी पर इतना जरूर समझती हूँ की जो होगा अच्छे के लिए ही होगा |
प्यार, दया , क्षमा , तीनो है पर एक को दूसरे का सहारा नही बना सकती | मेरा मानना यह है की जो स्नेह की भावना रखते है वो दया और क्षमा के दम पर रिश्तों को नही चलाएंगे | स्नेह की लगन और चाह अलग है, उसे दया और क्षमा दाल कर भारी करने की कोशिश मात्र ही अपमानजनक हो सकता है |
क्षमा तो वीर की शोभा है | एक सादाहरण मनुष्य कैसे ऐसा आसाधारण कार्य करने की चेष्टा कर सकता है और शायद करने की कोशिश करेगा तो सिर्फ़ अधूरी सफलता ही मिलेगी |

1 comment:

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

bas typing thik karen....aur is vishay par apne vichaaron ko bhi asaadhaaran banayen....thoda halka rah gaya....vaise sab kuch to kisi kaa baap bhi acchha nahin likh saktaa......!!